जन्मदिन विशेष : कहानी एक सन्यासी की जो बना देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री! आज सबसे प्रभावी नेताओ में होती है गिनती
आज ही के दिन 1972 को पंचूर गांव गढ़वाल जिला उत्तराखंड में आनंद सिंह विष्ट के घर अजय सिंह विष्ट का जन्म होता है। 10वी तक की पढाई करने के बाद अजय सिंह ऋषिकेश स्तिथ भरत मंदिर इण्टर कॉलेज में दाखिला लिया।
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कैसे बने सन्यासी
अपने पढाई के दौरान अजय सिंह ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को ज्वाइन किया और जमकर प्रसार प्रचार किया किन्तु जब सचिव का चुनाव आया और अजय सिंह ने टिकट माँगा तो टिकट नहीं मिली, अजय सिंह ने नाराज़ हो कर ABVP के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। राममंदिर आंदोलन के वक्त पढाई छोड़ 1993 में गरोखरपुर पहुंचे एवं वहाँ के महंत अवैधनाथ से मिले। अवैधनाथ अजय को अपना शिस्य बनाना चाहते थे किन्तु पहले तो अजय ने मना किया फिर घर से नौकरी करने के बहाने निकले और 15 फ़रवरी 1994 को बसंत पंचमी के दिन नाथपंथ की शिक्षा लेकर योगी आदित्यनाथ कहलाये।
सन्यासी के वेश में पहुंचे घर
छः माह गायब रहने के पश्चात योगी घर पहुंचे इस बार वो जीन्स पैंट शर्ट में नहीं अथवा गेरुया वस्त्र धारण किये हुए साधु के वेश में भिक्षा मांगने घर पहुंचे थे, जब ये दृश्य उनकी माता जी ने देखा तो रो पड़ी, उनको अपनी आँखों पे यकींन ही नहीं हो रहा था। माँ बोली ये क्या हाल बना रखा चल घर के अंदर तब अजय सिंह विष्ट जो अब योगी आदित्यनाथ हो चुके थे अपनी कहानी बताई और कहा आज से मेरा घर गोरखनाथ मंदिर है मै तो सन्यास उपरांत घर से भिक्षा लेने की परम्परा का निर्वाहन करने आया हूँ इसलिए हे माँ मुझे जो कुछ भी दे सकती हो देकर विदा करो।
पिताजी की चाह
अजय सिंह के पिता आनंद सिंह विष्ट जी फारेस्ट रेंजर की नौकरी करते थे साथ ही ट्रासंपोर्ट का धंधा चलता था वो चाहते थे की अजय पढ़ कर उनके साथ धंधे में हाथ बढ़ाये किन्तु कॉलेज के दौरान छात्र संघ के चुनाव ने उनको इस और आकर्षित कर लिया था।
कैसे बने नेता
एक बार गोरखनाथ ट्रस्ट के द्वारा चलाये जा रहे इण्टर कालेज के छात्र गोरखपुर के ही एक कपडा दुकानदार से पैसे को लेकर विवाद कर लिया, विवाद इतना बढ़ गया की दुकानदार ने छात्रों पैर हवाई फायरिंग कर दी। अब छात्र अपनी समस्या को लेकर मंदिर पहुंचे जंहा उनको लीड करने का जिम्मा आदित्यनाथ को मिला। योगी आदित्यनाथ अपने 50 समर्थको के साथ प्रदर्सन किया एवं दुकानदार को गिरफ्तार करने की मांग की इसी दौरान नारेबाजी करते हुए गेरुआ वस्त्र में योगी SSP ऑफिस की दीवारों पे चढ़ कर प्रदर्सन किया, यही उनकी राजनीतिक टर्निंग पॉइंट था। अब गोरखपुर में किसी की भी समस्या हो सबसे आगे योगी आदित्यनाथ लड़ाई लड़ते नज़र आते थे। इसी कड़ी में गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र नेता उनसे मिलने लगे और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। साल 1998 में महंत अवैधनाथ ने आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना दिया और राजनीती से बहार हो गए। चुकी अवैधनाथ गोरखपुर से संसद थे इसलिए BJP ने उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को 12 वी लोकसभा के लिए टिकट दिया और इसतरह से सबसे युवा संसद बने आदित्यनाथ।
2017 में बने मुख्यमंत्री
जब उत्तर प्रदेश में 2017 का विधानसभा चुनाव सम्प्पन हुआ तो CM की रेस में 4 बड़े नाम आगे चल रहे थे। केशव प्रसाद मौर्य , मनोज सिन्हा , राजनाथ सिंह , सुसमा स्वराज किन्तु इन सबको को पछाड़ते हुए योगी आदित्यनाथ 19 मार्च को CM पद की शपथ ली।
दुबारा बने मुख्यमंत्री
सर्व विदित है की 1985 से पूर्व कोई भी मुख्यमंत्री दुबारा से CM नहीं बन पाया था किन्तु योगी जी ने लगातार प्रदर्शन करते हुए दुबारा CM पद की शपथ ली ।
आज योगी जी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर देश के प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई दी
Birthday greetings to Uttar Pradesh's dynamic CM @myogiadityanath Ji. Over the last 6 years, he has provided great leadership to the state and ensured all-round progress. On key parameters, UP’s development has been remarkable. Praying for his long and healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 5, 2023