Shock Face Cryptocurrency YouTub (1)

जन्मदिन विशेष : कहानी एक सन्यासी की जो बना देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री! आज सबसे प्रभावी नेताओ में होती है गिनती

आज ही के दिन 1972 को पंचूर गांव गढ़वाल जिला उत्तराखंड में आनंद सिंह विष्ट के घर अजय सिंह विष्ट का जन्म होता है। 10वी तक की पढाई करने के बाद अजय सिंह ऋषिकेश स्तिथ भरत मंदिर इण्टर कॉलेज में दाखिला लिया।

योगी के हेलिकॉप्टर से टकराया पक्षी :1550 फीट की ऊंचाई पर सामने से टकराया

 

कैसे बने सन्यासी

अपने पढाई के दौरान अजय सिंह ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् को ज्वाइन किया और जमकर प्रसार प्रचार किया किन्तु जब सचिव का चुनाव आया और अजय सिंह ने टिकट माँगा तो टिकट नहीं मिली, अजय सिंह ने नाराज़ हो कर ABVP के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और हार गए। राममंदिर आंदोलन के वक्त पढाई छोड़  1993 में गरोखरपुर पहुंचे एवं वहाँ के महंत अवैधनाथ से मिले। अवैधनाथ अजय को अपना शिस्य बनाना चाहते थे किन्तु पहले तो अजय ने मना किया फिर घर से  नौकरी करने के बहाने निकले और 15 फ़रवरी 1994 को बसंत पंचमी के दिन नाथपंथ की शिक्षा लेकर योगी आदित्यनाथ कहलाये।

सन्यासी के वेश में पहुंचे घर

छः माह गायब रहने के पश्चात योगी घर पहुंचे इस बार वो जीन्स पैंट शर्ट में नहीं अथवा गेरुया वस्त्र धारण किये हुए साधु के वेश में भिक्षा मांगने घर पहुंचे थे, जब ये दृश्य उनकी माता जी ने देखा तो रो पड़ी, उनको अपनी आँखों पे यकींन  ही नहीं हो रहा था। माँ बोली ये क्या हाल बना रखा चल घर के अंदर तब अजय सिंह विष्ट जो अब योगी आदित्यनाथ हो चुके थे अपनी कहानी बताई और कहा आज से मेरा घर गोरखनाथ मंदिर है मै तो सन्यास उपरांत घर से भिक्षा लेने की परम्परा का निर्वाहन करने आया हूँ इसलिए हे माँ मुझे जो कुछ भी दे सकती हो देकर विदा करो।

पिताजी की चाह

अजय सिंह के पिता आनंद सिंह विष्ट जी फारेस्ट रेंजर की नौकरी करते थे साथ ही ट्रासंपोर्ट का धंधा  चलता था वो चाहते थे की अजय पढ़ कर उनके साथ धंधे  में हाथ बढ़ाये किन्तु कॉलेज के दौरान छात्र संघ के चुनाव ने उनको इस और आकर्षित कर लिया था।

कैसे बने नेता

एक बार गोरखनाथ ट्रस्ट के द्वारा चलाये जा रहे इण्टर कालेज के छात्र गोरखपुर के ही एक कपडा दुकानदार से पैसे को लेकर विवाद कर लिया, विवाद इतना बढ़ गया की दुकानदार ने छात्रों पैर हवाई फायरिंग कर दी। अब छात्र अपनी समस्या को लेकर मंदिर पहुंचे जंहा उनको लीड करने का जिम्मा आदित्यनाथ को मिला। योगी आदित्यनाथ अपने 50 समर्थको के साथ प्रदर्सन किया एवं दुकानदार को गिरफ्तार करने की मांग की इसी दौरान नारेबाजी करते हुए गेरुआ वस्त्र में योगी SSP ऑफिस की दीवारों पे चढ़ कर प्रदर्सन किया, यही उनकी राजनीतिक टर्निंग पॉइंट था। अब गोरखपुर में किसी की भी समस्या हो सबसे आगे योगी आदित्यनाथ लड़ाई लड़ते नज़र आते थे। इसी कड़ी में गोरखपुर विश्वविद्यालय के छात्र नेता उनसे मिलने लगे और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। साल 1998 में महंत अवैधनाथ ने आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना दिया और राजनीती से बहार हो गए। चुकी अवैधनाथ गोरखपुर से संसद थे इसलिए BJP ने उनके उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को 12 वी लोकसभा के लिए टिकट दिया और इसतरह से सबसे युवा संसद बने आदित्यनाथ।

2017 में बने मुख्यमंत्री 

जब उत्तर प्रदेश में 2017 का विधानसभा चुनाव सम्प्पन हुआ तो CM की रेस में 4 बड़े नाम आगे चल रहे थे। केशव प्रसाद मौर्य , मनोज सिन्हा , राजनाथ सिंह , सुसमा स्वराज किन्तु इन सबको को पछाड़ते हुए योगी आदित्यनाथ 19 मार्च को CM पद की शपथ ली।

दुबारा बने मुख्यमंत्री  

सर्व विदित है की 1985 से पूर्व कोई भी मुख्यमंत्री दुबारा से CM नहीं बन पाया था किन्तु योगी जी ने लगातार प्रदर्शन करते हुए दुबारा CM पद की शपथ ली ।

आज योगी जी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर देश के प्रधानमंत्री मोदी ने बधाई दी 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *