bjp-flag-_new_071515094916

अचानक विनम्र हो गए ‘महाराज’

8 मंत्रियों की ‘दिल्ली दौड़’, क्या BJP में कुछ बड़ा होगा?; रिटायर्ड अफसर मांगे मंत्री का दर्जा




भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होने भोपाल आए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की संगठन के एक पदाधिकारी के साथ बंद कमरे में मीटिंग हुई। ‘महाराज’ ने इस पदाधिकारी से अपने कट्‌टर समर्थक एक मंत्री की पीड़ा को बयां किया। सुना है कि ‘सरकार’ में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। ये पदाधिकारी ‘महाराज’ के प्रभाव वाले इलाके के मूल निवासी हैं। उनके समर्थक एक नेता ने कहा कि महाराज किसी कंट्रोवर्सी में नहीं पड़ना चाहते। कुछ समय से उनकी कार्यशैली में बदलाव आया है। कांग्रेस के महाराज और बीजेपी के महाराज में बहुत अंतर है। वे विनम्र हो गए हैं। इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय के घर जिस तरह उन्होंने अपने बेटे को आशीर्वाद दिलाया है, यह एमपी की राजनीति में भविष्य के संकेत हैं।




ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि मध्यप्रदेश बीजेपी में कुछ बड़ा होने वाला है। दरअसल, शिवराज के 8 मंत्री लगातार दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। यह दौड़ केवल एक हफ्ते के अंदर हुई। इस पर नजर रखने वाले एक नेता बताते हैं कि ऐसा पहली बार देखा जब मंत्री दिल्ली में अलग-अलग नेताओं से मिले। यह सिलसिला अभी थमा नहीं है। ‘सरकार’ के एक करीबी मंत्री भी दिल्ली दर्शन कर आए। इनके बारे में कहा जाता है कि ये अपने काम से मतलब रखते हैं। इनके पास विभाग भी मलाईदार है। ऐसे में उनके दिल्ली जाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं।




एक मंत्री तो ऐसे भी हैं, वो जब भी दिल्ली जाते है, तो मुलाकात करने वालों के साथ फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। इस बार उन्होंने अपना दौरा गुप्त रखा। सुना है कि सबकी रिपोर्ट ‘सरकार’ को मिल गई है। इसका असर जल्दी ही देखने को मिल सकता है।




रिटायर्ड अफसर को चाहिए ‘मंत्री का दर्जा

एक रिटायर्ड आईएएस अफसर मंत्री का दर्जा पाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। इन्हें संघ का करीबी होने पर राजभवन में एक प्रकोष्ठ की कमान मिल गई है। हाल ही में इनकी नियुक्ति दिल्ली से हुई है, लेकिन वे अपने काम से खुश नहीं हैं। सुना है कि जिस तरह निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्ति पाने वाले को कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा मिलता है, वे भी ऐसा चाहते हैं। इसे लेकर उन्होंने ‘सरकार’ तक ने लॉबिंग की है, लेकिन सफलता नहीं मिली। ये वही अफसर हैं, जिन्हें मुख्य सचिव नहीं बनाया गया था, तो नाराज होकर प्रतिनियुक्ति पर केंद्र चले गए थे।




‘सेफ सीट’ पर दिग्गज नेता की नजर

भोपाल में बीजेपी के लिए सबसे सेफ सीट गोविंदपुरा मानी जाती है। नगर निगम चुनाव में महापौर मालती राय को सबसे ज्यादा वोट इसी विधानसभा क्षेत्र में मिले थे। हाल ही में महापौर परिषद में अपने समर्थकों को जगह और बड़ा विभाग दिलाने के लिए मौजूदा विधायक कृष्णा गौर मैदान में आ गई थीं। उनके एक समर्थक एमआईसी सदस्य ने इस्तीफा तक दे दिया था। हालांकि मीटिंग कर मनुमटाव को दूर कर दिया गया, लेकिन इस विवाद की जड़ में कुछ और ही था।




सुना है कि अगले साल होने वाले चुनाव में इस सीट से बीजेपी के एक दिग्गज नेता लड़ना चाहते हैं। उन्होंने कृष्णा के बजाय उनके विरोधियों का साथ दिया, जबकि विरोधी खेमे से उनकी पटरी नहीं बैठती है। महापौर प्रत्याशी के चयन में भी उन्होंने अड़ंगा लगाया था। जब बात अपने भविष्य की हो तो विरोधी के कंधे पर हाथ रखना ही समझदारी है। नेताजी खुलकर इसलिए सामने नहीं आ रहे हैं, क्योंकि कृष्णा गौर को ‘सरकार’ का समर्थन है।




बिन मांगे मिल गया मोती

सबसे मलाईदार विभाग में कमिश्नर बनने के लिए दो अफसर कई दिनों से लॉबिंग कर रहे थे। इसमें से एक के पास मालवा के बड़े जिले की कमान है, जबकि दूसरे एक विभाग में कमिश्नर हैं। दोनों ही अपने आप को ‘सरकार’ का करीबी मानते हैं और प्रचार भी करते हैं। सुना है कि इनमें से एक के लिए प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया ने सिफारिश की थी, तो दूसरे ने संगठन के पदाधिकारी के जरिए ‘सरकार’ तक संदेश भेजा था, लेकिन दोनों की उम्मीदों पर पानी फिर गया।




‘सरकार’ ने तीसरे अफसर को यह कुर्सी सौंप दी, जिसकी उम्मीद उन्हें रत्ती भर नहीं थी। उन्होंने कयास लगाए थे कि ‘सरकार’ उनके बारे में कितना भी अच्छा सोचेंगे तो किसी संभाग का कमिश्नर बना देंगे, लेकिन उन्हें उम्मीद से ज्यादा मिल गया। इस पर एक वरिष्ठ अफसर की टिप्पणी- यह अफसर किसी विवाद में नहीं रहा और स्वभाव भी शालीन है। फिर अगले साल चुनाव है। ऐसे में ‘सरकार’ का अपनी छवि बरकरार रखने पर पूरा फोकस है।

और अंत में…




IFS दिलवाएंगे ‘कलेक्टरी

राजधानी में पदस्थ एक महिला IAS अफसर को IFS से दोस्ती करने का फल मिलने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने अपनी बिरादरी (IAS) के सीनियर्स को एप्रोच कर कलेक्टरी पाने के लिए काफी मशक्कत की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस अफसर के बारे में इतना जरूर बता देते हैं कि वे नौकरी में आने के बाद से ही विवादों में रहीं हैं। सुना है कि अब एक IFS अफसर ने उन्हें कलेक्टर बनवाने का आश्वासन दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *