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छुहिया घटी में मौजूद है शल्यकर्णी, महाभारत युग के इस पेड़ से होती थी सर्जरी…




रीवा मे महाभारत युग का दुर्लभ प्रजाति का औषधी पौधा शल्यकर्णी है। यह पौध अत्यन्न दुर्लभ और बहुमूल्य है, इस पौधे की पत्तियों मे इतनी खूबी है कि बड़े से बडे धाव को यह आसानी से भर देती हैं।




रीवा सीधी सीमा पर स्थित छुहिया घाटी का जंगली क्षेत्र..घने जंगल और पहाड की उचाईयो तक पहुंचना आसान नही था बड़ी जद्दोजहद के बाद हम पहुंचे शल्यकर्णी के वृक्ष तक… देखने में तो यह बहुत छोटा सा पौधा है पर यह बहुत ही दुर्लभ औषधी पौधा है। कहा जाता है कि युद्ध के दौरान घायल होने पर या फिर गंभीर गहरे घाव हो जाने पर इसकी पत्ति को बांध लिया जाता था।




शल्यकर्णी के पौध विध्य क्षेत्र में पहले बहुतायत मात्र मे लेकिन यह धीरे-धीरे विलुप्त हो गये। वर्तमान में शल्यकर्णी के विध्यक्षेत्र में मौजूद होने की सूचना मिली इस वन विभाग ने घने जंगलो के बीच डेरा डाला। बडी मुश्किल के बाद शल्यकर्णी के पौधे मिले। वर्तमान में इस पौधे को वन विभाग ने संरक्षित किया है और इस पर शौध किया जा रहा है।




शल्यकर्णी के बारे में कहा जाता है कि यह विंध्य क्षेत्र में इतने अधिक थे कि महाभारत युद्ध के दौरान यह से इस पौधे को कुरुक्षेत्र में ले जाया जाता था। लेकिन वर्तमान में यह विलुप्त हो गये जरूरत है इनके संरक्षण और देखभाल की ताकि इस इतिहास के पन्नो की वजाय वास्तविक रूप मे जीवित रहे।

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