सवालों के घेरे में सरकारी योजनाएं
सरकार की स्कीमों में 12 हजार करोड़ रु. का हिसाब नहीं मिला; कैग की आपत्ति के बाद वित्त ने प्रमुख विभागों को पत्र भेजा
प्रदेश के सरकारी विभागों में योजनाओं के खर्च पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भारत सरकार के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग ने 31 विभागों के 12 हजार 259 करोड़ रुपए के हिसाब को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। कैग ने यह ऐतराज जताया है कि विभागों ने ऑडिट के बिंदुओं पर कोई जवाब नहीं दिया है। इसके बाद वित्त विभाग ने प्रमुख विभागों के सीनियर आईएएस को पत्र भेजकर चेताया है।
प्रदेश सरकार के विभागों द्वारा जवाब नहीं देने को कैग द्वारा सीधे तौर पर ऑडिट में गड़बड़ी माना गया है। राज्य शासन को कहा गया है कि प्रधान महालेखाकार की हाई पॉवर मेटी को जवाब दिया जाए। कैग ने लंबित क्लॉज को लेकर ऑडिट में सख्त आपत्ति जताई है। इसे लेकर पिछले कुछ महीनों में ही विभागों को कई बार पत्र भेजकर जवाब मांगा गया है। इसके बाद वित्त विभाग से सभी संभागायुक्त और विभाग प्रमुखों को आपत्ति भेजी गई है।
बीते कई साल की ऑडिट आपत्तियों का निराकरण अभी तक बाकी, 31 विभागों के कामों पर एेतराज जताया
इन सीनियर अफसरों को देना होगा जवाब
ऑडिट आपत्ति के मुताबिक विभाग प्रमुखों को जवाब देना है। इसमें राज्य सरकार के एसीएस एसएन मिश्रा, जेएन कंसोटिया, अजीत केसरी, मोहम्मद सुलेमान, डॉ. राजेश राजौरा, अशोक शाह, पल्लवी जैन गोविल, प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, उमाकांत उमराव, रश्मि अरूण शमी, केसी गुप्ता और सचिन सिन्हा शामिल हैं।
आदिम जाति, राजस्व, उद्यानिकी, पंचायत समेत 5 विभागों की सबसे ज्यादा लापरवाही
ऑडिट आपत्ति के मुताबिक 5 विभाग ज्यादा लापरवाह हैं। इन विभागों से 360 करोड़ रुपए का हिसाब नहीं दिया गया है। ये खर्च वर्ष 2019 से 1 अप्रैल 2022 के बीच का है।
इन योजनाओं में आदिम जाति विभाग की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम, राजस्व विभाग की भूमि अधिग्रहण, उद्यानिकी विभाग की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में ड्रिप स्कीम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में डायरेक्ट टू बेनेफिट(डीबीटी) के अलावा जिला पंचायत और जनपद पंचायत भवनों के निर्माण, जल संसाधन विभाग की तवा सिंचाई परियोजना का आधुनिकीकरण है। इनके संबंध में कैग ने जो आपत्ति जताई है, उन क्लॉज पर विभागों ने ऑडिट में जवाब नहीं भेजा है।